👆सम्राट आशोक के सिलालेख तोडकर बनाया चंद्रालंबा देवी मंदीर :
गुलबर्गा (कर्नाटक)जिले के सनाथी मे एक प्राचीन मंदीर था जिसका नाम चंद्रालंबा देवी मंदीर । इस मंदीर का छत अचानक ढह जानेसे देवी मूर्ती खंडीत हुई और इतिहास के कई राज सामने आए । ईस मंदीर के मलबे से सम्राट आशोक के चार सिलालेख प्राप्त हुए । ईन सिलालेखोंको तोडकर मंदीर का फाऊंडेशन और फ्लोर बनाने के लिए उपयोग किया था ।यह सिलालेख प्राकृत भाषामे तथा ब्राह्मी(असल नाम नागरी ; ब्राह्मी नाम कैसे पडा यह बाद मे चर्चा करेंगे )लिपी मे लिखे हुए है । इनमे से एक सिलालेख देवी की मूर्ती रखने के लिए आधारशीला के तौरपर उपयोग किया था ।
ASI ने जब यहाँ खुदायी आरंभ की तो सबको चौंकाने वाले तथ्य सामने आए ।यहाँ पर सम्राट आसोक के बौध्द भारत की पूरी तस्वीर देखने मे आती है ।
यहाँपर -सिलालेखोंके 81 छोटेमोटे पत्थर के अवशेष , 2 स्तूप , मिट्टीके तीन टिले और बुध्द की कई प्रतिमाएँ साथ मे टेराकोटा मूर्तीयाँ ,मौर्य और सातवाहन कालीन कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले ।
दोस्तो , देशभर मे ऐसे कई मंदीर है जिन् मंदीरोंने भारत की मूल विरासत को गुमनामी के अंधेरे मे धकेल दिया है ।
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