गांव-गांव मे बुद्ध॥
ईसा की प्रथम शताब्दी तक एशिया महादेश के
अधिकतर देशों में बुद्ध धम्म स्थापित हो चूका था. इसकी
आधारशिला ईसा पूर्व 250 के आस पास मौर्य वंश के
यशस्वी सम्राट अशोक ने अपने बेटे महेंद्र और
बेटी संघमित्रा को धम्म-प्रचार के लिए श्रीलंका
भेजकर रख दी थी. ईसा की
छठी शताब्दी के आस पास जब एशिया के देशों
के मध्य सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं राजनीतिक संक्रमण का
दौर शुरू हुआ तो अरबी-तुर्की यात्रियों व्यापारियों
को जगह जगह बुद्ध मिलते. वे यात्री व्यापारी
चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान, भारत,
तिब्बत, अफगानिस्तान एवं श्रीलंका आदि जहां
भी जाते, वहां के पगोडा, मठ या विहार और स्तूपों में उन्हें
आंखे मूंदे, मुस्कुराती हुई एक सौम्य मूर्ति अवश्य दिखाई
देती. यदि स्थानीय व्यक्तियों से वो मूर्तियों के
विषय में अपनी जिज्ञासा का समाधान चाहते तो केवल एक
ही उतर मिलता, यह 'बुद्ध' हैं. अन्ततः बुद्ध शब्द
अरबी, फ़ारसी भाषा में अपभ्रंशित हो बुत हो
गया, जिसका अर्थ ही मान लिया गया मूर्ति. बुद्ध के
परिनिर्वाण के लगभग पांच सौ वर्षो के पश्चात भारत में
महायानी शाखा ने बुद्ध की मूर्तियों
की स्थापना शुरू की और कालांतर में लगभग पुरे
पश्चिम एशिया में बुद्ध फ़ैल गये. चीन, जापान, कोरिया,
ताइवान, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान, तिब्बत, अफगानिस्तान,
श्रीलंका इत्यादि सभी जगह. भारत में बुद्ध
संस्कृति का प्रभाव एवं विस्तार देश के कोने कोने में है. यह बात
प्रमाणिकता से इसलिए कही जा सकती है
क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा खुदाई में
अब तक सबसे ज्यादा साक्ष्य बुद्ध धम्म के होने के ही
मिले हैं. खुदाई की सतत प्रक्रिया और बुद्ध धम्म के
विश्व व्यापकता के स्वतः प्रमाण इसी खुदाई में मिलते रहे
हैं. बुद्ध धम्म के कारण आज भी भारत विश्व गुरु के
बैभव से विभूषित है. सम्राट अशोक के काल में भारत बुद्ध धम्ममय
एक अखंड देश था. भारत सांस्कृतिक, राजनीतिक
(प्रजातांत्रिक) एवं आर्थिक रूप से समृद्ध था. इस धम्म का प्रसार
भी यहीं से अन्य देशों में हुआ और खुदाई
इसका प्रमाण भी देती हैं. आज दुनिया के 170
देशों में बौद्ध धम्म विद्यमान है. बांग्लादेश जैसे छोटे राष्ट्र में एक
करोड़ बुद्धिस्ट हैं. इस आंकड़े से बौद्ध धम्म के प्रसार का अंदाजा
लगाया जा सकता है. जहां तक भारत में बौद्ध धम्म के विभिन्न
प्रमुख स्थलों की बात है तो यह देश बौद्धमय था और
आज भी है. जागृत स्थल का विवरण केवल बुद्ध धम्म
की एक छोटी सी भूमिका मात्र है.
तथागत बुद्ध से जुड़ी स्मृतियों, अवशेषों व धरोहरों
की खोज निरंतर जारी है. उपरोक्त
जानकारी से यह बात सामने है कि कि भारत देश में जहां
देशों वहीं
बुद्ध विद्यमान हैं. यह स्थिति तब है, जब बौद्ध धम्म को नष्ट
करने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया. भारतवर्ष का एक-एक
ईंट, एक-एक पत्थर कहता है की भारत बुद्धमय है.
बुद्ध का शासन हमारे मन पर है. दुनिया के सभी देशों में
खुदाई से बुद्ध अवशेष प्राप्त हुए हैं. कभी
कभी तो युद्ध में विध्वंस के पश्चात बुद्ध की
मुर्तिया भूमि के गर्भ से निकली. एक कहावत
भी है कि 'हुआ युद्ध निकले बुद्ध'. बुद्ध
शालीनता से देश के हर राज्य में हर गांव-मुहल्ले में
मौजूद हैं.
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आपका धंम्ममिञ
रोहित शाक्य
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जय भारत. जय अशोक महान
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हम सबका मिशन है
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बुद्धमय भारत. सुखमय भारत
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