Thursday, January 7, 2016

रावण या सम्राट अशोक

【रावण या सम्राट अशोक】

विदेशी ब्राह्मणों ने सम्राट अशोक को रावण के रूप में अपमानित किया है और अभी भी कर रहे हैं।

विदेशी ब्राह्मणों ने वास्तविक इतिहास को काल्पनिक कथाओं के स्वरूप में लिखा। उन काल्पनिक कथाओं में उन्होंने खुद को देवताओं के रूप में उतारा और भारतीय बहुजनो को दैत्य, दानव, असुर, राक्षस, पिशाच ऐसे खलनायक के रूप में उतारा।
रावण की लंका मौर्य साम्राज्य का प्रतिबिंब ही तो है! क्योकि, सिर्फ मौर्य काल ही भारत में ऐसा काल था, जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। रावण के राज्य/महल को सोने की लंका यूँ ही नहीं कहा गया! रावण की प्रजा में जरूर खुशहाली थी। कोई गरीब नहीं था, कोई जातिवाद नहीं था, क्योंकि, सभी "असुर" ही थे। रावण के राज्य में महिलायें अकेली विचरण करती थी (सुरपनखा वाली घटना को देखिये)। स्त्रियों को अपना वर चुनने की आजादी थी। लंका में अशोक वाटिका कहा से आई?? रामायण के शलोक 34 सर्ग 110 में बुद्ध का जिक्र कैसे आया?

वास्तविक इतिहास अगर बिना कुछ बदलाव किए उन्होंने लिखा होता, तो लोगों ने अपने ही पूर्वजों को हत्याओं का जश्न कभी नहीं मनाया होता। लेकिन, ब्राह्मणों ने बडी ही चालाकी से खुद को नायक के रूप में देवता और उनके दुश्मन भारतीयों को खलनायक के रूप में दैत्य, दानव, राक्षस के रूप में समाज के सामने रखा।
रामायण में राम और रावण का किरदार इसी कडवी सच्चाई पर आधारित है। रामायण में ब्राह्मणों ने पुष्यमित्र शुंग इस ब्राह्मण का किरदार काल्पनिक राम के रूप में उतारा और सम्राट अशोक का किरदार काल्पनिक रावण के रूप में उतारा। 

सम्राट अशोक ने ब्राह्मणों को उनके खास हक अधिकारों से वंचित किया था और समानता के आधार पर सभी लोगों को समान हक अधिकार दिये थे। उसने ब्राह्मणों के यज्ञों पर पाबंदी लगा दी थी, क्योंकि, इन यज्ञों में ब्राह्मण लोग गौहत्या के साथ साथ हजारों जानवरों का कत्लेआम करते थे। सम्राट अशोक ने ब्राह्मणों के यज्ञों पर पाबंदी लगा दी, उनके सारे विशेष अधिकार छीन लिए और उन्हें बहुजनो के स्तर पर खिंचकर खडा किया। इसलिए, अशोक ने अपने एक शिलालेख में लिखा है कि, देवता भी अपना स्वर्ग छोडकर मानवों के साथ रहने लगे।

सम्राट अशोक के इन बदलावों ने ब्राह्मणों को कंगाल बना दिया; क्योंकि, ब्राह्मण लोग श्रम नहीं कर सकते हैं; इसलिए, भारतीयों के उत्पादन पर परजीवी बनकर ही भारत में अपना मौजमस्ती का जीवन जी रहे थे, लेकिन, सम्राट अशोक के समानता के सिद्धांत ने उनका जीवन नरकमय बना दिया था। अशोक के इस व्यवहार का बदला लेने के लिए ब्राह्मणों ने मौर्य साम्राज्य को नष्ट कर दिया, उस साम्राज्य के बौद्धों को नष्ट कर दिया और उनको शुद्र-अतिशुद्र बना दिया; सम्राट अशोक और बुद्ध के समूचे वजूद को मिटाने के लिए उनसे संबंधित सारी जानकारी को नष्ट कर दिया,  उनके वास्तविक इतिहास को काल्पनिक पुराणकथा, रामायण, महाभारत, गीता ऐसी काल्पनिक कथाओं में बंदिस्त किया, ताकि आनेवाली पीढियों को बुद्ध और अशोक का नाम तक मालूम ना हो!!! 

इसलिए, सम्राट अशोक और तथागत बुद्ध को मध्ययुगीन भारत में कोई नहीं पहचानता था! अंग्रेजो ने जब बुद्ध और अशोक पर अपनी रिसर्च शुरू की, तो उनके संशोधको को पहले यह लगा कि, शायद बुद्ध इजिप्त का है और अशोक श्रीलंका का है!! 

इतना बडा घात ब्राह्मणों ने बुद्ध और अशोक के साथ किया! उनका संपूर्ण वजूद ही मिटा डाला!! रामायण भी उनकी इस बेरमह चाल का एक हिस्सा है, जिसमें उन्होंने महान सम्राट अशोक को रावण के रूप में खलनायक दिखाया और अशोक पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए उसे रावण के रूप में हर साल हमारे सामने जलाना चालू किया। 

ब्राह्मणों की इस नाजायज हरकत को हमे हर हाल में रोकना होगा। 

जय मुलनिवासी।

4 comments:

  1. Bilkul galat likha hai
    Kitna jante ho
    Ram Raavan
    Ram kshstriya the
    Raavan Brahman the
    Ramayan tumne padhi hai
    Ram kijanm kundli Raavan ne hi banai thi jaankari na ho to Gyan dusro Ko na de

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  2. Yadi ravan brahman tha to use rakshyas kyu batate hai

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  3. Sach chupanese bhi nahi chupta ek din o saamne aayenga. Brahman logo ne is bholi Bhali Janta Ko bevakhuf banaya hai hajaro salose par ek din Aisa bhi aayenga jab Bharat kofir se Buddha ki dharti bola jayenga us samay shyad hum aur AAP na ho lekin aane wali pidhi ye jarur samjhegi ki Buddha ka asthitva tha aur unke bataye marg par log challenge. Jai Bhim jai Buddha .

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  4. Ek jawab de jo ramayan pdha hai
    Ram ke jamane ki bani Ayodhya ghar abhi bhi hai kya ye sach hai,?

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