कहते है एक अँगुलीमाल नाम का डाकू जिसने 1000 लोगो को मारने की तथा उनकी अँगुली काट कर माला पहेनने की कसम खायी थी।
ये बात उस समय की है, जब उसने 999 लोगो की हत्या कर चूका था। वो जिस जंगल में रहेता था, उसके आतंक के कारण उस जंगल से लोगो ने गुजरना ही बंद कर दिया था।
एक दिन तथागत बुद्ध को किसी अन्य गाँव जाना था, तो वो उस जंगल वाले रास्ते से जाने लगे तो गाँव वालो ने बुद्ध को बहोत समझाया। अँगुलीमाल के बारे में बताया। लेकिन बुद्ध बोले कोई इंसान अपने मार्ग से भटक गया है। उसे सही रास्ते में लाना होगा। इसलिए मैं इसी रास्ते से जाऊंगा।
जब बुद्ध जंगल के बिच में पहुँचे ही थे की सामने अँगुलीमाल आ गया। और कहने लगा- कौन है तू? इस रास्ते से कई महीनो से कोई मेरे डर के कारण गुजरा नही, तू मुझे जानता नही क्या?
बुद्ध बोले- मुझे पता है! तुम अँगुलीमाल हो और तुमने 999 लोगो की हत्या की है।
अँगुलीमाल- मेरे बारे में सब जानते हुए भी तू चला आया तुझे मौत से डर नही लगता क्या?
बुद्ध- मौत से तो उन्हे डर लगता है, जिनकी चाहते बाकि हो, मेरी तो बस साँसे बाकि है, चाहते तो खत्म हो चुकी है।
अँगुलीमाल ने तलवार निकाली और कहा मरने को तैयार हो जा।
बुद्ध मुस्कुराते हुए खड़े रहे।
अँगुलीमाल बोला- मैंने 999 लोगो को मारा लेकिन तू एक पहला इंसान मिला है, जिसके सामने मौत खड़ी है, फिर भी मुस्कुरा रहा है। मौत को सामने देख लोगो का चेहरा फीका पड़ जाता है। लेकिन तेरे चेहरे की चमक बड़ गयी है। मैंने मरते समय लोगो को डरा सा काँपता हुआ अपनी जान की भीख माँगते हुए ही पाया है।
तुझमे जरूर कुछ खास है की तुझे मारने में मुझे डर लग रहा है। तू मुझे सीखा कैसे डर से मुक्त हो सकते है।
बुद्ध बोले- बिलकुल सिखाऊंगा तुम मेरे साथ चलो और मेरे बताये हुए मार्ग पर चलने का अभ्यास करना।
कहते है बुद्ध के बताये मार्ग पे चलकर अँगुलीमाल जैसा डाकू संत बन गया।
संत बनने के बाद एक बार वो भिक्षा माँगने गाँव गया तो वहा के कुछ लोगो ने उसे पहेचान लिया तथा कहने लगे ये डाकू अँगुलीमाल है जिसने हमारे बाप दादाओ को मारा है, मारो इसे।
लोगो ने अँगुलीमाल को पत्थर मार मार कर लहूलुहान कर दिए।
जब अँगुलीमाल अपनी अंतिम साँसे गिन रहा था उतने में बुद्ध उसके पास पहुँचे। तथा अँगुलीमाल से पूछा जब लोग तुम्हे मार रहे थे तो तुम्हे कैसा लग रहा था।
अँगुलीमाल ने कहा- मैं प्रसन्न था की मुझे मेरे कर्मो की सजा मिल रही है। और जो मुझे मार रहे थे उनके प्रति भी मेरे मन में करुणा जाग रही थी की इन लोगों का भला हो।
बुद्ध बोले- अँगुलीमाल तुम शुद्ध हो गये बुद्ध हो गये, अब तुम अरहंत बन गये हो। । ।
🎋🎋नमो बुद्धाय🎋🎋